कठिन है क्या
दूसरों को
वो रास्ता दिखाना
जिस पर कभी
हम चले ही न हों
क्योंकि हम बड़े
विधि-विधान से
किसी को भी वो सब
समझा सकते हैं
जो शायद ही कभी हमारे
अनुभव में आया हो
और ऐसा असंभव
इसलिए संभव हुआ है
क्योंकि हमें भी बहुत बार
कई लोगों ने
बहुत बारीकी से
सब कुछ समझाया है
जिनको स्वयँ भी
वो सब कभी
समझ न आया हो
विशेषज्ञता अब
विशेषता अर्जित करने में नहीं
समझाने के अभ्यास में
जान पड़ती है
इसीलिये तो हम
समझते-समझाते
समझाने की क्रिया में
निपुण हो चुके हैं
और स्वयँ पीड़ित होते हुए भी
किसी को भी
पीड़ा दूर करने का मंत्र
सहजता से बता सकते हैं ...
© आदर्श कुमार पटेल
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