
गलवान घाटी में 15 जून 2020 की रात चीन ने भारत के विरुद्ध अपने Martial Art experts को भेजा था ताकि वो बिना military weapons के भारत के भू-भाग पर कब्जा कर लें। यह वो जगह थी जहाँ दोनों राष्ट्रों के बीच 1996 में हुई एक संधि के अनुसार कोई सैनिक हथियार लेकर नहीं जाता था। उसे पूरा विश्वास था कि उसके प्रशिक्षित सैनिक भारत पर बढ़त बना ही लेंगे। बातचीत के दौर में ही पूर्व नियोजित रणनीति अनुसार उन्होंने धोखे से हमारे सैनिकों पर हमला किया। इस हमले में उन्होंने लोहे की कील लगी हुई rod का प्रयोग किया जिससे भारी क्षति पहुँचाई जा सके। 1000 से ज्यादा चीनियों के अचानक किये गए हमले में लड़ते हुए हमारे कर्नल संतोष बाबू समेत 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। लेकिन प्रतिघात में चीनियों का जो हाल हमारे जवानों ने किया उसे चीनी चाहकर भी नहीं भुला सकते। उनकी martial art उनके कोई काम न आई। हमारे जवानों ने उनकी गर्दनें तोड़ ड़ालीं,खोपड़ियाँ फोड़ ड़ालीं तथा उनके ही हथियार छीनकर अपना बदला लिया। ऐसा बदला लिया गया कि चीन आज तक मरने वालों की सही-सही संख्या बताने से कतरा रहा है।
अपने मद में चूर चीन यह भूल गया कि जिस देश के एक गुरु बोधिधर्म ने उसे martial art सिखाई उस देश के जवानों के रक्त में भी unarmed combat की बहुत सी तकनीकें व्याप्त हैं। और चल पड़ा हमारी प्रशिक्षित सेना से भिड़ने जिसकी हर infantry में और अधिक घातक जवान(घातक platoon) मौजूद हैं जो हर प्रकार की युद्ध कला में दक्ष हैं।
वन्दे मातरम्
अपने मद में चूर चीन यह भूल गया कि जिस देश के एक गुरु बोधिधर्म ने उसे martial art सिखाई उस देश के जवानों के रक्त में भी unarmed combat की बहुत सी तकनीकें व्याप्त हैं। और चल पड़ा हमारी प्रशिक्षित सेना से भिड़ने जिसकी हर infantry में और अधिक घातक जवान(घातक platoon) मौजूद हैं जो हर प्रकार की युद्ध कला में दक्ष हैं।
वन्दे मातरम्
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