आज हमें भी जाना है
समय नहीं है पास मेरे
क्या अच्छा मिला बहाना है
यह मत पूछो इतने दिन था कहाँ
क्यों नहीं मिल पाया
मिलना तो चाहा किन्तु कब
समय तुम्हें ही मिल पाया
किञ्चित न अवकाश किन्तु
तब रिक्त - सा हृदय लगता है
जब बचपन की यादों का
चलचित्र सामने दिखता है
वर्ष बहुत से बीत गये
चल घर से कभी निकलते हैं
मैं आऊँगा, तुम भी आना
आकार के सब मिलते हैं
उम्र बिता देंगे निश्चित
अवकाश नहीं मिल पायेगा
यादों का ताना-बाना सब
टूट बिखर ही जायेगा
नीरसता भर जीवन में
फिर अंत हमें पछताना है
समय नहीं है पास मेरे
क्या अच्छा मिला बहाना है
© आदर्श कुमार पटेल
bahut sundar :)
जवाब देंहटाएं1000X👍
जवाब देंहटाएंNicely penned.. Made me nostalgic
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