तृप्ति की आकांक्षा है
किन्तु न संकल्प निर्बल
हूँ प्रतीक्षारत निरंतर
ध्येय केवल व्योम का जल
है तपन वर्षों की , वर्षों तक
चलेगी
और यह निश्चित ,सफलता तो मिलेगी
धीरता मेरा है संबल
ध्येय केवल व्योम का जल
नित नये उल्लास लेकर चल रहा हूँ
धूप, अंधड़ में भी निश्चित पल रहा हूँ
बढ़ रहा उत्साह हरपल
ध्येय केवल व्योम का जल
है कहीं उपलब्ध थोड़ा जल यहाँ भी
दिख रहा मुझको निरंतर आसमां भी
लक्ष्य किन्तु एक ही फल
ध्येय केवल व्योम का जल
अंजुली भर से नहीं संतोष किंचित
दीखते सब ओर जब तक जीव वंचित
तृप्त करना है मरुस्थल
ध्येय केवल व्योम का जल
© Adarsh Kumar Patel
Tags:Hindi Poem, Hindi Kavita
"तृप्त करना है मरुस्थल" वाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंबहुत सुंदर रचना है आपकी "ध्येय केवल व्योम का जल"
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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