सहस्त्रों वर्षों से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार अथवा सर्दी-ज़ुकाम आदि होने पर विशेषकर काढ़ा बनाकर पिया जाता रहा है। जो लोग ग्रामीण परिवेश में रहे हैं अथवा कभी रहने का मौका मिला हो वे अवश्य इसके बारे में जानते हैं। हमारी दादी भी बुखार होने पर इसी प्रकार काढ़ा बना कर पिया करती थीं और बिना किसी अन्य दवाई के ठीक भी हो जाती थीं।
आयुर्वेदिक औषधियों पर आधारित यह काढ़ा बहुत प्रकार के रोगों से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत उपयोगी है।
आइये आज उसी काढ़े को बनाने की विधि समझते हैं।
सामग्री:
गिलोय,अदरक ,हल्दी,काली-मिर्च,तुलसी,दालचीनी
सबसे पहले गिलोय की लगभग एक फीट लंबी डंडी को अच्छी तरह कूट कर बारीक कर लें।उसके बाद अदरक,कालीमिर्च,तुलसी की पत्तियों और कच्ची हल्दी को भी कूट-पीस कर बारीक कर लीजिए और एक बर्तन में डालकर चार कप पानी में उबालें। एक कप पानी शेष बचने पर छान कर ठंडा कर लें। हल्का गुनगुना रहने पर पी जायें। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस क्वाथ (काढ़ा) को खाली पेट ही पीयें।यह काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत लाभदायक है।
* नोट: उपरोक्त सामग्री की मात्रा एक व्यक्ति के अनुरूप बतायी गयी है।
Great.. I will surely apply.
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